स्विस सरकार ने भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) में मौजूद मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) क्लॉज को निलंबित कर दिया है। इससे स्विट्ज़रलैंड में भारतीय कंपनियों पर टैक्स बढ़ सकता है और स्विट्ज़रलैंड से भारत में होने वाले निवेशों पर भी असर पड़ सकता है।
स्विट्ज़रलैंड ने हाल ही में भारत के लिए मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) स्टेटस को सस्पेंड कर दिया है। इस कदम से आईटी, फार्मा और फाइनेंशियल सेक्टर्स में निवेश करने वाले भारतीय निवेशकों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि इससे पहले भारत को MFN सिद्धांत के तहत वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) में जो ट्रेड प्रेफरेंशियल फ्रेमवर्क मिलता था, वह बाधित हो गया है।
स्विट्ज़रलैंड ने भारत से MFN स्टेटस क्यों सस्पेंड किया?
स्विस सरकार ने भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) में मौजूद MFN क्लॉज को सस्पेंड कर दिया है। इसका असर स्विस निवेशों पर पड़ सकता है और स्विट्ज़रलैंड में काम करने वाली भारतीय कंपनियों पर टैक्स का बोझ बढ़ सकता है। 1 जनवरी, 2025 से यह कंपनियां पहले के 5% की तुलना में अब 10% टैक्स चुकाएंगी।
स्विस सरकार का बयान:
स्विस फाइनेंस डिपार्टमेंट ने 11 दिसंबर को दिए गए एक बयान में कहा कि यह कदम भारत के सुप्रीम कोर्ट के 2023 के फैसले के बाद उठाया गया है। इस फैसले में कहा गया था कि MFN क्लॉज स्वचालित रूप से लागू नहीं होता जब कोई देश OECD का सदस्य बनता है, यदि उस देश ने उस संगठन में शामिल होने से पहले भारत के साथ करार किया हो।
भारत ने कोलंबिया और लिथुआनिया के साथ ऐसे टैक्स ट्रीटी साइन किए थे, जिसमें कुछ प्रकार की आय पर टैक्स की दरें कम थीं। ये दोनों देश बाद में OECD का हिस्सा बने।
MFN स्टेटस सस्पेंशन का भारतीय निवेशकों पर असर:
विशेषज्ञों का मानना है कि MFN स्टेटस का सस्पेंशन भारतीय कंपनियों के लिए एक बड़ा झटका है, खासतौर पर फार्मा, आईटी और फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर में। इससे इन क्षेत्रों में नई टैक्स चुनौतियां खड़ी होंगी।
स्टॉक मार्केट एनालिस्ट्स का सुझाव है कि भारतीय निवेशकों को फार्मास्यूटिकल्स, आईटी, फाइनेंशियल सर्विसेज, और इंजीनियरिंग गुड्स जैसे क्षेत्रों पर खास नजर रखनी चाहिए।
नंगिया एंडरसन के एमएंडए टैक्स पार्टनर संदीप झुनझुनवाला ने कहा,
“स्विस अथॉरिटीज द्वारा भारत के साथ अपने टैक्स ट्रीटी के MFN क्लॉज को सस्पेंड करना द्विपक्षीय करारों में एक बड़ा बदलाव है। इससे स्विट्ज़रलैंड में काम करने वाले भारतीय संगठनों की टैक्स देनदारी बढ़ सकती है।”
WTO नियमों के तहत MFN का महत्व:
WTO के नियमों के अनुसार, MFN क्लॉज ग्लोबल ट्रेड का आधार है। यह सुनिश्चित करता है कि देशों को समान टैक्स और ट्रेड ट्रीटमेंट मिले। स्विट्ज़रलैंड का यह फैसला भारतीय कंपनियों के लिए अधिक टैरिफ, नए ट्रेड बैरियर्स और स्विस और यूरोपीय बाजारों तक सीमित पहुंच का कारण बन सकता है।
नेस्ले केस:
स्विट्ज़रलैंड ने अपने MFN स्टेटस सस्पेंशन के लिए 2023 में भारत के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया। यह मामला नेस्ले से संबंधित था, जिसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के वीवे में है।
2021 में, दिल्ली हाई कोर्ट ने नेस्ले केस में MFN क्लॉज के तहत टैक्स की कम दरों को सही ठहराया था। लेकिन 19 अक्टूबर 2023 को, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया और कहा कि इनकम टैक्स एक्ट की धारा 90 के अनुसार ‘नोटिफिकेशन’ के अभाव में MFN क्लॉज सीधे लागू नहीं किया जा सकता।